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Hindi Poetry On Love

Hindi Poetry On Love


Hindi Poetry On Love

कभी दो हमें भी यह मौका,

कभी दो हमें भी यह मौका,
सजदे में तेरे झुक जाएं हम,
लेके हाथ तेरा हाथों में,
प्यार की चूड़ियाँ पहनाएं हम
कभी दो हमें भी यह मौका,
कभी दो हमें भी यह मौका,
ज़ुल्फों की छाँव में रहने का,
तेरे कानों में गुफ़्तगू कहने का,
कभी दो हमें भी यह मौका,
कभी दो हमें भी यह मौका,
होठों से होठ मिलाने का,
तेरी बाहों में सो जाने का,
रात में तेरे ख्वाबों में जी लेने का,
कभी दो हमें भी यह मौका,
कभी दो हमें भी यह मौका,
शाम के एहसास का,
गहरे से जज़्बात का,
आँखों में डूब जाने का,
कभी दो हमें भी यह मौका,
कभी दो हमें भी यह मौका,
नज़्म में तुझको दिल दे जाने का,
ग़ज़ल में तेरे गीत गुनगुनाने का,
सुरों की ज़िन्दगी में तेरे शामिल हो जाने का,
कभी दो हमें भी यह मौका,
कभी दो हमें भी यह मौका,
ज़िन्दगी की मुकम्मलता का,
दुल्हन बन के तुम्हारे घर आजाने का,
सुहाग की सेज पर हमको प्यार जताने का,
कभी दो हमें भी यह मौका,
कभी दो हमें भी यह मौका,
सुबह आँख खुले तो तेरे दीदार का,
बाहों में सुलगते से जिस्म का,
मांग में तेरी सिन्दूर भर देने का,
कभी दो हमें भी यह मौका,
खुदको जाता देने का,
अपना प्यार दिखने का,
कभी दो हमें भी यह मौका

-Hindi Poetry On Love


रूठना तो हमे भी आता हैं

रूठना तो हमे भी आता हैं
लेकिन मनाने कहा कोई आता हैं
घुटते रहे दर्द को पीते रहे खुद ही 
फिर भी खुशियाँ सबमे बार-बार बांटता हैं
अकेले में खुद ही आशु बहाता हैं

रूठने का फायदा ही क्या
जो दिल की कही वो नहीं कोई सुन पाता हैं

रूठे धरती का प्यास बुझा बादल उसे मनाता है.
तितली और भवरो को मनाने फूल हर रोज खिल खिलाते हैं
नदियों की जिद पूरी करने के लिए पहाड़ भी रास्ता बनाता हैं

एक हम है जिसे मनाने कहा कोई आता हैं…
फूल न हो तो भवरो का क्या काम
बिन बरसात मयूरी भी हो जाती उदास
कैसा सावन जिसमे ना हो बरसात

रूठे ही क्यों जब कोई मनाने नहीं आता हैं 
लाख दर्द के बिच भी मुस्कुराना सीखा हमने
फिर कभी इश्क़ नहीं करने का कसम खाया हमने

रूठना  हमे भी आता हैं
लेकिन मनाने कहा कोई आता हैं


Love Poem-इतनी मोहब्बत कम तो नहीं।


तू बस यूं ही सामने से आया जाया कर,
मुझे चाहे ना देख पर मुस्कुराया कर।
तेरे आने से पहले मुझे तेरी आहटें भी महसूस होती हैं, इतनी मोहब्बत कम तो नहीं।

नहीं दरख्वास्त कि आ बैठ मेरे सामने,
और कर गुफ्तुगू जैसे करते हैं ये जहां वाले,
और मुस्कुरा के मेरा हाल ही ले पूछ।
इतनी मोहब्बत कम तो नहीं।

तुझे देखा करूं तो ऐसे तू मुस्कुराती रहना,
तुझसे बिन जताए मैं इश्क कर बैठू।
इतनी मोहब्बत कम तो नहीं।
रहो मशगूल चाहे तुम किसी भी महफिल में,
तुझे देखूं, तुझे सोचूं, तुझे चाहूं,
इतनी मोहब्बत कम तो नहीं।

मेरे जाने के बाद वो भी मुझे छुप-छुप कर देखती तो है,
थोड़ी ही सही पर वो मोहब्बत करती तो है।
इतनी मोहब्बत कम तो नहीं।
वो इस तरह तो बोलती बहुत है,
महफिलों में खिलखिलाती भी बहुत है,
पर जब भी हो हम से आंखें चार,
खुदा कसम वो शर्माती बहुत है।
इतनी मोहब्बत कम तो नहीं।

-Hindi Poetry On Love


प्रेम कविता-ऐ खुदा उसके साथ रख

ऐ खुदा उसके साथ रख
थोड़ा पास रख
उसकी ख़ुशी के लिए तेरे पास आया हूँ
मेरी दुआ अब तेरे क़दमों में रख
मानता हूँ भूल गया था मैं
लेकिन अब वापिस आया हूँ तो निराश न रख
बच्चा समझ के माफ़ कर दे मुझे
तेरे क़दमों में मेरे लिए थोड़ी सी जगह रख
ऐ खुदा उसके साथ रख
थोड़ा पास रख
प्यार करता हूँ मैं उस से बेपनाह
दूर होके नहीं रह सकता
उसके बिना शादी न सही
लेकिन उसको मेरी नज़रों के सामने रख
ऐ खुदा उसके साथ रख
थोड़ा पास रख


जीवन का हमसफ़र बना लो…

मुझे अपने हर दर्द का हिस्सेदार बना लो 
दिल में नहीं तो ख्वाबो में ही बसा लो,
यादो में नही तो अपनी ख्यालो में ही बसा लो,
अपना एक सच्चा अहसास बना लो। 

कुछ इस तरह मुझे अपने में मिला लो,
की अपने हृदय की धड़कन बना लो,
छुपा लो सारी दुनिया से मुझे ऐसे,
की अपना गहरा राज बना लो,
कर लो मुझसे इश्क़ इतनी, 
की अपनी हर चाहत का अंजाम बना लो,
ढक लो मुझे अपनी जुल्फों से इस कदर,
की मुझे अपना सारा संसार बना लो,

बन जाऊ मै भंवरा आप फूल बन जाओ,
बन जाऊ मैं चाँद आप मेरी चाँदनी जाओ,
रख दो अपना हाथ मेरे हाथ में इस तरह,
की मुझे अपने जीवन का हमसफ़र बना लो…

-Hindi Poetry On Love

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मेरी बात

आज फिर हमारी नज़रे मिली
वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी
उसके होठों की हसी मुझे बहाने लगी
मुझे लगा की आज अपने दिल की बात कह दूंगा
जो होगा उसे सच मान आगे बढ़ लूँगा
मगर उसे किसी और से प्यार था
वो तो किसी और पे मरती थी
और मैं उसके लिये सिर्फ उसका एक यार था
मेरे दिल में उसके लिये सिर्फ और सिर्फ प्यार था
इसलिये मेरी हिम्मत फिर से हार गयी
उससे अपने दिल की बात कहने की
अपने दिल के जज़्बात कहने की
वो खवाहिश फिर से खत्म कर दी
ये दिल की फ़रमाइश पूरी ना हो सकी
और फिर से मेरी बात अधूरी रह गयी

Hindi Poetry On Love

भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी

भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ
हाँ मैं तेरे प्यार में फिर से पड़ने लगा हूँ

सोचा रुक जाएगी ज़िन्दगी, जब उसने मेरे दिल को तोडा
लेकिन तूने आके मेरी ज़िन्दगी में इसका टुकड़ा टुकड़ा जोड़ा

सपने लेने छोड़ दिया था, लगा था तनहा सा रहने
अब तू मिली ज़िन्दगी में और तेरे सपने के सागर में लगा हूँ बहने

भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….

चली गयी थी चेहरे की हंसी आने लगे थे दुःख
तुम मिली ज़िन्दगी में अब सच हैं सारे सुख

प्यार एक शब्दो का खेल हैं. ऐसा लगा था सबसे कहने
आज तो फिर से प्यार हो गया और लगा हूँ तेरे ख्वाबो में रहने

भरी भरी सी हैं ज़िन्दगी, भावो में बहने लगा हूँ….

-Hindi Poetry On Love


Best Sad Poem On Love

जिनके लिए हम जागते हैं
वो चैन की आहे भरते हैं,

जिनके लिए हम सिसकते हैं
वो किसी और के साथ हसते हैं

रहते हैं वो मस्त अपने प्यार में
उनको कहा फुर्सत हैं गैरो के लिए

कभी होते थे सबसे नजदीक हम
आज उनके लिए गैरों में गिने जाते हैं;

जिनके लिए हम सिससकते हैं
वो किसी और के साथ हँसते हैं.

करते रहते हैं हम जिनका इन्तजार
वो नहीं हुवे वापस आने को तैयार

रात भर तकिये से लिपट आहे भरते रहे
वो किसी और साथ हँसते रहे.

रह गया मैं प्यासा बिच नदी में खड़ा
सामने थे तुम लेकिन थे कितने दूर

तड़पता रहा मैं, फिर रहा हूँ मरा-मरा
न जाने कब उतरेगा तेरा ये शुरुर

जिनके लिए हम सिसकते रहे हैं
वो किसी और की बाहो में हँसते हैं.

-Hindi Poetry On Love


मुझे तुमसे इश्क़ हो गया

मुझे तुमसे इश्क़ हो गया
खुदा से मिला रहमत है तू
मेरे लिए बहुत अहम् है तू
तेरे प्यार का मुझपे रंग चढ़ गया
मुझे तुमसे इश्क़ हो गया
न न करते कब हाँ कर बैठी
दिमाग का सुनते सुनते कब दिल की सुन ली
बस इतना पता है तुमसे इश्क़ हो गया
कब हुआ कैसे हुआ बस हाँ तुमसे इश्क़ हो गया
तेरे ख्यालों में रहती हूँ
खुद से ही तेरी बातें करती हूँ
तेरे नाम से ही मुस्कुरा देती हूँ
तुम्हें खबर भी नहीं और मैं तुम्ही से बेइंतहा प्यार करती हूँ
खुदा की मुझपे नेमत है तू
मेरी बरकत है तू
तुझसे दिल का राब्ता हो गया
मुझे तुमसे इश्क़ हो गया

-Hindi Poetry On Love


दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।

प्यार भरे शब्दों से कोई पैगाम लिखता हूँ।
तड़प कर जिया हूँ बरसों तक।
इस तड़प का कोई एहसास लिखता हूँ।
दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।

हँसा था जो तूने मुझे देख प्यार से।
उन जादू भरी नजरों का अंदाज लिखता हूँ।
दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।

नाम तेरा बेनाम है सावन का कोई पैगाम है।
बरसती हुई इन बूंदों में भीगा सी एक शाम है।
जीवन की हर शाम को आज तेरे नाम लिखता हूँ।
दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।

मेरी हर तमन्ना अधूरी थी तुझे पाने से पहले।
इन तमन्नाओं को आज जीने की वजह लिखता हूँ।
दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।

सीने में धड़कते दिल को तेरा खत मिल गया।
सायरो की भीड़ में एक सायर नया बन गया।
आज इसी सायरी को तेरे नाम लिखता हूँ।
दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।

मैं कोई शायर नहीँ न तू मेरी कोई कल्पना है।
तू हकीकत है तू इबारत है तू ही इस दिल की इबादत है।
दिल में तेरी मोह्बत का कलमा बार बार पढता हूँ।
दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।

दुआओं की भीड़ है तेरे लिये बहुत सी।
मगर मेरी भी एक दुआ छोटी सी कबूल कर लेना
ऐ खुदा। उसको रखना सदा दिल के पास।
कैसे कहूँ तुझे दिल से आज खुदा लिखता हूँ।
दिल की दीवार पर तेरा नाम लिखता हूँ।
बस तेरा ही नाम लिखता हूँ।

-Hindi Poetry On Love



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