अकबर-बीरबल की कहानी : पेड़ का असली मालिक
केशव और गोविंद एक दूसरे के पड़ोसी थे | एक दूसरे के बहुत करीब थे। उनके घरों के पास एक आम का पेड़ था जिसके फल दोनों घरवाले मजे से खाते थे। एक दिन उनके बीच झगड़ा हो गया। दोनों ने कहा। मैं इस पेड़ का मालिक। हूं। मैं इस पेड़ का मालिक हूं। अंत में वे विवाद को सुलझाने के लिए दोनों बादशाह अकबर के दरबार में आए। केशव ने बाजिया से दरख्वास्त करी। हुजूर मेरे पड़ोसी गोविंद आम के पेड़ पर अपने हक का दावा कर रहे हैं जो मैने लगाया था। मैं सात साल से पेड़ की देखभाल कर रहा हूं। बड़ी उम्मीदों के साथ आपके पास आया हूं। कृपया मुझे न्याय दिलाएं।
बादशाह ने उसकी बात सुनी और उसे बीरबल के पास भेजा। बीरबल ने दोनों पड़ोसियों को एक साथ बुलाया और दोनों को ही सच बोलने के लिए कहा। दोनों ने ही पेड़ के असली मालिक होने का दावा किया। फिर बीरबल ने पूछा, हुजूर कौन पेड़ पर नजर रखता है। गोविंद ने उत्तर दिया हुजूर एक चौकीदार हमारी तरफ से इसकी रक्षा करता है।
बीरबल ने उस चौकीदार को बुलवाने के लिए भेजा जब चौकीदार अदालत पहुंचा तो बीरबल ने उससे पूछा बताओ तुम किसके लिए आम के पेड़ पर नजर रखते हो। चौकीदार ने जवाब दिया। जनाब मैं दोनों की ओर से पेड़ की रखवाली करता हूं। मैं यहां अभी दो महीने पहले आया हूं, इसलिए मुझे नहीं पता कि पेड़ का असली मालिक कौन है। –अकबर-बीरबल की कहानी : पेड़ का असली मालिक
Read More : अकबर-बीरबल की कहानियाँ
बीरबल ने चौकीदार से दरबार में प्रतीक्षा करने को कहा, शाम हो गई थी और बीरबल भी सोचने में व्यस्त थे कि यह पूरा मामला क्या है। कुछ सोचकर बीरबल ने चौकीदार से कहा, देखो पहले केशव के घर और फिर गोविंद के घर जाओ और उनसे बोलना । कुछ लुटेरे आम के पेड़ के पास खड़े हैं और आम चुराने वाले हैं। बस इतना कहकर तुम वापस यहीं चले आना।
बीरबल ने अपने दो नौकरों को चौकीदार के साथ भेजा और साथ ही साथ उनसे चुपके से केशव और गोविंद की बातें सुनने के लिए भी कहा। चौकीदार और दोनों नौकरों ने बीरबल के निर्देशों का पालन किया। चौकीदार पहले केशव के घर पर गया, लेकिन घर पर वह नहीं था। इसलिए चौकीदार ने उसकी पत्नी को संदेश दिया और फिर गोविंद के घर की ओर चल दिया, लेकिन गोविंद भी वहां नहीं था और उसका संदेश भी उसकी बीवी को दे दिया। इसी बीच बीरबल के आदेश के अनुसार उसके दोनों नौकर केशव और गोविंद के घरों के पास छिपे हुए थे।
कुछ समय बाद केशव लौट आया। उसकी पत्नी ने उसे चौकीदार का संदेश सुनाया। यह सुनकर केशव ने कहा। काफी रात हो चुकी है। मैं उन लुटेरों का सामना अकेले कैसे कर सकता हूं। मैंने अभी तक कुछ खाया भी नहीं है। चलो आराम से पहले भोजन करते हैं, फिर सोचते हैं, क्या करना है। –अकबर-बीरबल की कहानी : पेड़ का असली मालिक
बीरबल के पहले नौकर ने बाहर से सब कुछ सुना। इसी बीच गोविंद भी अपने घर वापस आ गया था। उसकी पत्नी ने उसे भी चौकीदार का संदेश सुनाया, जिसे सुनते ही गोविंद उठा और एक लट लेकर बाहर की ओर भागा। जब उसकी पत्नी ने उसे पहले रात का खाना खाने को कहा तो उसने कहा नहीं, मैं बाद में खाऊंगा। अगर मैं भी नहीं गया तो सालभर का मेरा प्रयास बर्बाद हो जाएगा। -अकबर-बीरबल की कहानी : पेड़ का असली मालिक
बीरबल के दूसरे नौकर ने यह सब सुन लिया। फिर दोनों नौकर बीरबल के पास गए और उन्हें बताया कि चौकीदार का संदेश सुनकर दोनों ने कैसा बर्ताव किया। अगले दिन केशव और गोविंद दोनों दरबार में आए। बीरबल ने उनसे कहा, देखो। मैंने अंत में निष्कर्ष निकाला है कि आम का पेड़ आप दोनों का है। इसलिए आप दोनों को उस पेड़ के आधे आधे आम मिलेंगे। मैंने पेड़ को काटने का फैसला कर लिया है और आप दोनों को बराबर का हिस्सा मिलेगा।
बीरबल के फैसले से केशव बहुत खुश था। हालांकि गोविंद बहुत दुखी था। उसने आंखों से आंसू लिए हुए कहा, श्रीमान आप केशव को पेड़ दे सकते हैं, लेकिन कृपया इसे मत काटिए मैं इसे कटते हुए नहीं देख पाऊंगा। अब बीरबल पूरी तरह से आश्वस्त थे कि गोविंद ही पेड़ का असली मालिक है। उन्होंने गोविंद को पेड़ का असली मालिक घोषित किया और केशव को झूठ बोलने के लिए सजा की घोषणा की। इस तरह एक बार फिर से बीरबल ने अपनी चतुराई से इस मुश्किल का हल निकाला।
More Stories
हाईवे Cottage- Short Horror Story
Vikram Betal Story 24 | माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ? – बेताल पच्चीसी – चौबीसवीं कहानी |
भविष्य- Short Horror Story